साल 1981 में पंजाब को भारत से अलग करके अलग से खालिस्तान राष्ट्र बनाने की मांग जोर पकडऩे लगी थी। हालत इतनी ख़राब हो गयी थी कि खालिस्तान की मांग कर रहे आतंकियों ने भारत सरकार को भी चुनौती देना शुरू कर दिया था। इस भारत विरोधी आंदोलन ने हजारों लोगों की जाने ली थी।
अखिलेश अखिल, वरिष्ठ पत्रकार/नई दिल्ली
अमृतसर का स्वर्णमंदिर एक बार फिर खालिस्तान जिन्दावाद के नारों का गवाह बना। ऑपरेशन ब्लू स्टार की 33वीं बरसी पर स्वर्ण मंदिर के अंदर एकत्र लोगों द्वारा खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए और भारत विरोधी बातें कही गयी। इस घटना के बाद वहां का माहौल तनावपूर्ण हो गया। बता दें कि ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ को 33 साल पूरे होने से पहले अमृतसर सहित पंजाब के कई भागों में सुरक्षा की सख्त व्यवस्था की गई है। सीआरपीएफ, आईटीबीपी और आरएएफ सहित अर्धसैनिक बलों की करीब 15 कंपनियां राज्य के विभिन्न हिस्सों में तैनात की गई हैं।
आपको बता दें कि 1973 में पंजाब के आनंदपुर साहिब में सिखों ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें पंजाब को एक स्वायत्त राज्य बनाने की बात की गई थी। कहा जा रहा है कि इस प्रस्ताव के बाद खालिस्तान आंदोलन की शुरुआत हो गयी। समय बीतते गया और सिखों के भीतर खालिस्तान आंदोलन को लेकर प्यार उमड़ता गया। 1980 के दशक में जब पंजाब में हिंसा और आतंक का भरी दौर चला था। इसी दौर में सिखों ने पहली बार खालिस्तान राष्ट्र की मांग की थी। इस मांग के साथ ही पंजाब की राजनीति और केंद्र सरकार की परेशानी बढ़ गयी थी।
साल 1981 में पंजाब को भारत से अलग करके अलग से खालिस्तान राष्ट्र बनाने की मांग जोर पकडऩे लगी थी। हालत इतनी ख़राब हो गयी थी कि खालिस्तान की मांग कर रहे आतंकियों ने भारत सरकार को भी चुनौती देना शुरू कर दिया था। इस भारत विरोधी आंदोलन ने हजारों लोगों की जाने ली थी। अंत में 6 जून साल 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छिपे हथियारबंद आतंकवादियों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था। भारतीय सेना का ये मिशन अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों के चंगुल से छुड़ाना था। इस ऑपरेशन को स्वतंत्र भारत में असैनिक संघर्ष के इतिहास की सबसे खूनी लड़ाई माना जाता है।
ऑपरेशन ब्लू स्टार की 33 वीं जयंती पर फिर एक बार खालिस्तान जिन्दावाद के नारे बहुत कुछ कह जाती है। लगता है कि अभी भी भारत विरोधी लोगों के मन में खालिस्तान न बनने का जख्म भरा हुआ है। जिस तरह से अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में बूढ़े से लेकर बच्चे तक नारे लगा रहे थे उसे कम करके आंकना हमारी भूल हो सकती है। इसे समय रहते कुचल देने की जरुरत है। देश वैसे भी कई आंत्रिक मसलों से परेशान है और ऐसे में फिर से खालिस्तान की बातें हमें और परेशान कर सकती है।