क्यों है सिक्किम को लेकर चीन परेशान

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सिक्किम का वजूद 1,642 में सामने आया, जब फुन्त्सोंग नाम्ग्याल को सिक्किम का पहला राजा घोषित किया गया। नामग्याल को तीन बौद्ध भिक्षुओं ने राजा बनाया था। सिक्किम में राजतन्त्र की शुरूआत हुई , नाम्ग्याल राजवंश ने 333 सालों तक सिक्किम पर राज किया।

विशेष संवाददाता/नई दिल्ली
सिक्किम के कुछ इलाके को लेकर भारत -चीन के बीच सीमा विवाद अपने चरम पर है। यह बात और है कि बदलती भू राजनीति को देखते हुए चीन और भारत आपसी सूझ बुझ से ही इस विवाद को ख़त्म करने की कोशिश में है लेकिन विवाद अभी सुलझता नहीं दिखता। आपको बता दें कि फिलहाल जो सीमा विवाद है, वो भारत-भूटान और चीन सीमा के मिलान बिन्दु से जुड़ा हुआ है। सिक्किम में भारतीय सीमा से सटी डोकलाम पठार है, जहां चीन सड़क निर्माण कराने पर आमादा है। चीन इस इलाके को अपना मानता है। मगर भारतीय सैनिकों ने पिछले दिनों चीन की इस कोशिश का विरोध किया था। डोकलाम पठार का कुछ हिस्सा भूटान में भी पड़ता है। भूटान ने भी चीन की इस कोशिश का विरोध किया है। आपको बता दें कि सिक्किम को लेकर चीन हमेशा भारत से उलझता रहा है। सिक्किम के भारत में विलय का भी चीन ने विरोध किया था।
सिक्किम का वजूद 1,642 में सामने आया, जब फुन्त्सोंग नाम्ग्याल को सिक्किम का पहला चोग्याल (राजा) घोषित किया गया। नामग्याल को तीन बौद्ध भिक्षुओं ने राजा घोषित किया था। सिक्किम में राजतन्त्र की शुरूआत हुई, और नाम्ग्याल राजवंश ने 333 सालों तक सिक्किम पर राज किया।
जनमत संग्रह: भारत ने 1947 में स्वाधीनता हासिल की। इसके बाद पूरे देश में सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में अलग-अलग रियासतों का भारत में विलय किया गया। इसी क्रम में 6 अप्रैल, 1975 की सुबह सिक्किम के चोग्याल को अपने राजमहल के गेट के बाहर भारतीय सैनिकों के ट्रकों की आवाज़ सुनाई दी। भारतीय सेना ने राजमहल को चारों तरफ़ से घेरकर राजा को उनके महल में ही नज़रबंद कर दिया गया। इसके बाद सिक्किम में जनमत संग्रह कराया गया। जनमत संग्रह में 97.5 फीसदी लोगों ने भारत के साथ जाने की वकालत की। जिसके बाद सिक्किम को भारत का 22वां राज्य बनाने का संविधान संशोधन विधेयक 23 अप्रैल, 1975 को लोकसभा में पेश किया गया। उसी दिन इसे 299-11 के मत से पास कर दिया गया। वहीं राज्यसभा में यह बिल 26 अप्रैल को पास हुआ और 15 मई, 1975 को जैसे ही राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने इस बिल पर हस्ताक्षर किए, नाम्ग्याल राजवंश का शासन समाप्त हो गया।
जब सिक्किम के भारत में विलय की मुहिम शुरू हुई तो चीन ने इसकी तुलना 1968 में रूस के चेकोस्लोवाकिया पर किए गए आक्रमण से की। जबाब में इंदिरा गांधी ने चीन को तिब्बत पर किए उसके आक्रमण की याद दिलाई। हालांकि, भूटान इस विलय से खुश हुआ क्योंकि इसके बाद से उसे सिक्किम के साथ जोड़ कर देखने की संभावना खत्म हो गईं। नेपाल ने भी सिक्किम के विलय का जबरदस्त विरोध किया था।
सीमा विवाद: दरअसल, भारत-चीन के बीच कुल 3,500 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है। सीमा विवाद को लेकर दोनों देश 1962 में युद्ध लड़ चुके हैं। मगर सीमा पर तनाव आज भी जारी है। यही वजह है कि अलग-अलग हिस्सों में अक्सर भारत-चीन के बीच सीमा विवाद उठता रहा है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने हाल ही में कहा कि सिक्किम में भारत के साथ सीमा का निर्धारण 127 साल पहले क्विंग साम्राज्य और ग्रेट ब्रिटेन के बीच हुई संधि-एंग्लो-चाइनीज कंवेंशन ऑफ 1890, पर आधारित था। लू ने कहा,’चीन और भारत की सभी सरकारें ये स्वीकार करती हैं कि सिक्किम खंड का सीमा-निर्धारण हो चुका है। भारतीय नेता, भारत सरकार के प्रासंगिक दस्तावेज और सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ विशिष्ट प्रतिनिधियों की बैठक में भारतीय दल ने इस बात की पुष्टि की है कि भारत और चीन सिक्किम खंड के सीमा निर्धारण को लेकर 1890 के समझौते के प्रति एक जैसा विचार रखते हैं। चीन का मानना है कि भारत इस समझौते और दस्तावेज का पालन करने के अंतरराष्ट्रीय दायित्व से मुंह नहीं मोड़ सकता है।
पहले जैसा नहीं: इधर भारत अब चीन की गीदड़ भभकी में फंसने वाला नहीं। भारत अब पहले जैसा नहीं। दुनिया की उभरती ताकतों में भारत शुमार है। हमारी सैन्य ताकत भी अब चीन से कम नहीं। ऐसे में भारत ने चीन को सबक सिखाने के लिए कई तरह का एक्शन भी ले रहा है। हमारी फौजें वहा तैनात है हुए हमारी कूटनीति भी चीन के साथ बरकरार है।

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