शिलॉन्ग: नहीं रुक रही हिंसा, नेट पर रोक, अ‍ब भी कर्फ्यू

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शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अकाली नेताओं और बीजेपी विधायक सिरसा को बातचीत के लिए भेजा
शिलॉन्ग। मेघालय की राजधानी शिलांग में बृहस्पतिवार को एक बस खलासी के साथ स्थानीय लोगों की मारपीट के चलते भड़की हिंसा ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया है। हिंसा के चार दिन बीत जाने के बाद भी तनाव बरकरार है। इससे पहले, शनिवार को शहर के विभिन्न इलाकों में हिंसक झड़पें हुईं।
कल दिनभर की शांति के बाद रात को सुरक्षाबलों पर फिर से पेट्रोल बम से हमले की खबर है जिससे तनाव बढ़ गया है। अभी भी कई इलाकों में कर्फ्यू लगा हुआ है। हिंसा के बाद सुरक्षाबल मुस्तैदी से खड़े हैं. पूरा शिलांग पुलिस छावनी में बदला हुआ है।
 
शिलांग की शांति गुरुवार को भंग हुई जब पंजाबी बस्ती में सिख समुदाय की कुछ महिलाओं और सरकारी परिवहन विभाग के कर्मचारियों में किसी बात को लेकर बहस हो गई। कुछ लोगों का आरोप है कि रास्ते को लेकर विवाद हुआ जबकि कुछ लोग इसमें छेड़खानी का एंगल बता रहे हैं।
 
सोशल मीडिया पर अफवाह 
दरअसल, शुक्रवार को सोशल मीडिया पर यह अफवाह तेजी से फैली कि जिस बस खलासी के साथ मारपीट हुई थी उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया है। उसके बाद शुक्रवार शाम विभिन्न इलाकों में हिंसा भड़क उठी। पंजाबी बस्ती के लोगों का आरोप है कि रात में उनके घरों पर पथराव और पेट्रोल बम से हमला किया गया। तनाव को देखते हुए शिलांग में कर्फ्यू लगा है और इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई हैं।
 
मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा ने कहा है, ‘‘समस्या एक खास इलाके में एक खास मुद्दे को लेकर हुई। दो समुदाय इसमें शामिल थे, लेकिन यह सांप्रदायिक प्रवृति की चीज नहीं थी।’’ उन्होंने कहा कि निहित स्वार्थ वाले संगठनों और राज्य से बाहर की मीडिया के एक हिस्से ने शिलांग में हुई झड़पों को सांप्रदायिक रंग दिया।
 
संगमा ने कहा कि हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए ज्यादातर लोग पूर्वी खासी हिल्स जिले से बाहर के थे। शिलांग पूर्वी खासी हिल्स जिले में ही है। उन्होंने कहा कि हिंसा का वित्तपोषण कर रहे लोगों का पता लगाया जा रहा है।
कल शिलांग में सुबह 8 बजे से दोपहर 3 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई। कल रात पंजाबी बस्ती में भी महिलाएं तीन दिन बाद पानी भरने के लिए घरों से बाहर निकलीं। महिलाओं का कहना है कि हिंसा से उनमें अभी भी डर बैठा हुआ है। एक बुजुर्ग सिख ने बताया कि सिख समुदाय के लोग यहां दो सौ साल से रहते हैं, इसलिए वो यहां से नहीं जाएंगे न जाना चाहते हैं।
सिख बस्ती में हिंसा और सिखों पर अत्याचार को लेकर कई तरह की अफवाहें भी फैल रही थीं। इसलिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अकाली दल के नेताओं और दिल्ली के बीजेपी विधायक मनजिंदर सिरसा को मेघालय सरकार से बातचीत के लिए भेजा। सरकार और अकाली दल के प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि लोगों की सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम हैं। अफवाहों पर ध्यान न दिया जाए।

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