जम्मू और कश्मीर में नया राजनीतिक संकट

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गठबंधन टूटने के साथ ही भाजपा ने राज्य में गवर्नर शासन लगाने का अनुरोध किया है। वहीं महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में जम्मू और कश्मीर में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है।

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पीडीपी के बीच गठबंधन
आखिरकार टूट गया है। भाजपा महासचिव और जम्‍मू-कश्‍मीर के प्रभारी राम माधव ने यह घोषणा मीडिया कांफ्रेंस में की। गठबंधन टूटने के साथ ही भाजपा ने राज्य में गवर्नर शासन लगाने का अनुरोध किया है। वहीं महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में जम्मू और कश्मीर में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है।
 
विधानसभा में सीटों की स्थिति
 
विधानसभा चुनाव नतीजों पर नजर डालें तो राज्य की कुल 87 सीटों में से पीडीपी को 28, भाजपा को 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली थीं। इसके अलावा अन्य दलों को 7 सीटें मिली थीं। चुनाव में अभी करीब 3 साल का समय बाकी हैं।
ऐसे में अगर गठबंधन सरकार बनाने की फिर से कोशिश की जाती है तो पीडीपी को कांग्रेस के अलावा अन्य की भी जरूरत होगी, जिससे बहुमत के आंकड़े को हासिल किया जा सके।
इसके अलावा अगर पीडीपी और कांग्रेस के बीच तालमेल नहीं बनता है तो महबूबा मुफ्ती के पास दूसरा विकल्प राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस से हाथ मिलाने का बचता है। वहीं अगर एेसा नहीं होता है तो फिर राष्ट्रपति शासन लागू होगा। इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। इसके बाद चुनाव में जाने का ही विकल्प बचता है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्‍होंने गठबंधन टूटने के प्रमुख कारणों को बताया।
 
राम माधव द्वारा कही गईं प्रमुख बातें…
 
-भाजपा जम्मू-कश्मीर, लद्दाख में शांतिपूर्ण तरीके से सरकार चलाने की कोशिश करती रही है।
 
-पीडीपी से अलग होने का फैसला देशहित और राष्ट्रहित को लेकर किया गया है।
 
-जम्मू कश्मीर में मीडिया की आजादी अब खतरे में आ गई है।
 
-घाटी में जिस तरह से पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या की गई, वह निंदनीय है।
 
-पिछले तीन सालों में घाटी के हालातों को शांतिपूर्ण करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्‍य का सभी तरह से साथ दिया है।
 

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