“आधुनिक विज्ञान ने भी योग के महत्व को मान लिया”

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मुंगेर विश्वविद्यालय में योग दिवस भी मनाया

“योग न सिर्फ हमारे तन को ऊर्जावान बनाता है बल्कि हमारे मन को भी शुद्ध करता है और स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मस्तिष्क वाला व्यक्ति ही राष्ट्र निर्माण में अपना सकरात्मक योगदान दे सकता है।”

मुंगेर:अंतररार्ष्ट्रीय योग दिवस पर बिहार के मुंगेर विश्वविद्यालय में योग दिवस का भव्य आयोजन किया गया। इसमें विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों के साथ 6 हज़ार से ज्यादा छात्र-छात्राएं शामिल हुए।

मुंगेर की पहचान पहले से ही विश्व भारती योग केन्द्र के कारण योगनगरी की है। मुंगेर विश्वविद्यालय में योग दिवस पर हुए इस भव्य कार्यक्रम में विश्व भारती योग केन्द्र के प्रशिक्षकों ने ही शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को योग के विभिन्न आसन कराए। इस कार्यक्रम को मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रंजीत वर्मा के नेतृत्व में आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि योग न सिर्फ हमारे तन को ऊर्जावान बनाता है बल्कि हमारे मन को भी शुद्ध करता है और स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मस्तिष्क वाला व्यक्ति ही राष्ट्र निर्माण में अपना सकरात्मक योगदान दे सकता है। इस मौके पर विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति प्रोफेसर कुसुम राय ने कहा कि योग का महत्व अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हुआ है और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस इसकी एक बानगी भर है।

योग कार्यक्रम की शुरुआत प्रात: छह बजे से ही हो गयी। सबसे पहले शिक्षकों,कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं के लिए योग प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। योग केंद्र, मुंगेर के योगी साकेत, योगी केशव और योगी संतोष के निर्देशन में शिक्षकों और छात्र-छात्राओं ने योग किया। मुंगेर विश्वविद्यालय के 27 केंद्रों पर एक साथ इसका आयोजन किया गया। इसमें 6 हज़ार से ज्यादा लोगों ने शिरकत की। एनसीसी के कैडेट्स और एनएसएस के सदस्यों ने भी इसमें अपनी भागीदारी निभायी।

इसके बाद विश्वविद्यालय के मुख्यालय में योग दिवस पर एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया। ‘विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में योग की भूमिका एवं महत्व’ विषय पर आयोजित इस सेमिनार में योग के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला गया। वक्ताओं ने कहा कि योग एक जीवनशैली है और इसके नियमित पालन से विद्यार्थियों को उनके लक्ष्य पर पहुंचने में बहुत मदद मिलती है। कुलपति प्रोफेसर रंजीत वर्मा ने सेमिनार की अध्यक्षता की। उन्होंने योग और विज्ञान के परस्पर सम्बन्ध को प्रतिस्थापित करते हुए कहा कि आधुनिक विज्ञान ने भी अब योग के महत्व को स्वीकार कर लिया है।

कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रतिकुलपति प्रोफेसर कुसुम राय की विशेष भूमिका रही। उनके  साथ डॉ. देवराज सुमन, डॉ कमल सिन्हा, डॉ सूरज कोनार आदि ने भी प्रमुख भूमिका निभायी।

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