राजनाथ ने मुस्लिम नेताओं से मुलाकात की

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भारतीय नौजवानों को कथित तौर पर आकर्षित करने के प्रयासों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को देश के प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरूओं से मुलाकात की.राजनाथ ने धर्मगुरुओं से इस आतंकी समूह के मंसूबों को नाकाम करने में उनका सहयोग मांगा.इस एक घंटे की इस मुलाकात में मुस्लिम धर्मगुरूओं को आईएसआईएस की गतिविधियों और भारतीय नौजवानों को अपने ज़द में लेने के उसके प्रयासों के बारे में अवगत कराया गया.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री ने इस मामले पर मुस्लिम धर्मगुरूओं से मदद मांगी और मुस्लिम धर्मगुरूओं ने भी इस संदर्भ में सरकार की पूरी मदद का भरोसा दिया.  इस मुलाकात के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.

मुस्लिम धर्मगुरूओं और गृह मंत्री की मुलाकात के दौरान सोशल मीडिया के दुरूपयोग, नौजवानों को आकर्षित करने वाले प्रोत्साहनों के स्रोत, भारत के पड़ोस में आईएसआईएस का प्रभाव बढ़ने और कानून-व्यवस्था के स्तर से इस चुनौती का माकूल जवाब देने सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई.

बैठक में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय सचिव नियाज फारूकी, अजमेर शरीफ के मौलाना अब्दुल वहीद हुसैन चिश्ती, रफीक वारशिक, एम एम अंसारी, एमजे खान, शिया धर्मगुरू मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद, कमाल फारूकी, पीस फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मुफ्ती एजाज़ अरशद कासमी और अन्य मौजूद थे.

राजनाथ सिंह के साथ मुस्लिम धर्मगुरूओं की मुलाकात के दौरान अल्पसंख्यकों के लिए कल्याणकारी योजनाओं, सोशल मीडिया को लेकर रणनीति की जरूरत पर जोर दिया गया. गृह मंत्री ने कहा कि भारत की परंपरा और पारिवारिक मूल्य आतंकवादी समूहों की इन साजिशों को विफल कर देंगे तथा आईएसआईएस की ओर रूझान बहुत सीमति है, हालांकि सभी मोर्चों  से नजर रखने की जरूरत है.

मुलाकात में मौजूद रहे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी ने ‘भाषा’ से कहा, ”हमने गृह मंत्री के समक्ष कई मुद्दे उठाए. जिस तरह से गिरफ्तारियां हो रही हैं उससे लगता है कि भारत से बहुत बड़ी तादाद में लोग आईएसआईएस के साथ जुड़ गए हैं जबकि ऐसा नहीं हैं. हमने कहा कि एक भी व्यक्ति का इस संगठन से जुड़ना हमारे लिए तकलीफदेह हैं, लेकिन इसको लेकर बेकसूर लोगों को नहीं पकड़ा जाना चाहिए.