समलैंगिक रिश्तों पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

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सुप्रीम कोर्ट देश में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखने संबंधी निर्णय को चुनौती देने वाली समलैंगिक कार्यकर्ताओं की सुधारात्मक याचिका पर आज (मंगलवार को) ओपन कोर्ट में सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ शीर्ष कोर्ट के 11 दिसंबर 2013 के फैसले के खिलाफ समलैंगिक अधिकारों के लिये प्रयत्नशील कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठन नाज फाउंडेशन की सुधारात्मक याचिका पर सुनवाई के लिये सहमत हो गई। 

कोर्ट ने इस फैसले में अप्राकृतिक यौन अपराधों से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 की वैधता बरकरार रखी थी। कोर्ट ने इसके बाद जनवरी 2014 में इस निर्णय पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाएं भी खारिज कर दी थीं। सुधारात्मक याचिका कोर्ट के माध्यम से अन्याय के निदान हेतु उपलब्ध अंतिम न्यायिक उपाय है।

आमतौर पर सुधारात्मक याचिकाओं पर जज अपने चैंबर में ही विचार करते हैं लेकिन बिरले मामलों में ही कोर्ट में इन पर सुनवाई की जाती है। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में दलील दी है कि शीर्ष अदालत का 11 दिसंबर 2013 का फैसला त्रुटिपूर्ण है क्योंकि यह पुराने कानून पर आधारित है।

याचिका में कहा गया कि मामले पर सुनवाई 27 मार्च 2012 को पूरी हुई थी और निर्णय करीब 21 महीने बाद सुनाया गया और इस दौरान कानून में संशोधन सहित अनेक बदलाव हो चुके थे जिन पर फैसला सुनाने वाली पीठ ने विचार नहीं किया। समलैंगिक अधिकारों के समर्थक कार्यकर्ताओं ने कहा था कि कोर्ट के निर्णय के बाद पिछले चार चाल के दौरान इस समुदाय के हजारों लोगों ने अपनी यौन पहचान सार्वजनिक कर दी थी।