दिल्ली सरकार व केंद्र सरकार में दिल्ली पुलिस को लेकर ठनी

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मौत के मामले की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट में खासी भिड़ंत हो गई.दिल्ली पुलिस की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के पेश होने पर दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने इसका जमकर विरोध किया.जस्टिस जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) मनिंदर सिंह जैसे ही बहस के लिए तैयार हुए, राहुल मेहरा ने कड़ी आपत्ति की.

मेहरा का कहना था कि दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की दलीलें सुनने के बाद एसआईटी का गठन किया था. दिल्ली सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. उसके बाद ही हाई कोर्ट ने एसीपी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया.गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने पिछले माह पुलिस थाने में मौत के मामले की जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को सौंप दी थी.

हाई कोर्ट ने कहा था कि एसीपी एसआईटी को हेड करेंगे और डीसीपी उस पर निगरानी रखेंगे. हिरासत में मौत का यह मामला उत्तर-पूर्वी दिल्ली के नंदनगरी का है. हाई कोर्ट ने मृतक की पत्नी राबिया की याचिका पर उपराज्पाल और दिल्ली सरकार को उचित मुआवजा प्रदान करने का निर्देश दिया था.

राबिया के पति की सात सितम्बर को पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. हाई कोर्ट में दायर याचिका में राबिया ने पुलिस पर यातना का आरोप लगाया. उसका कहना है कि पुलिस की यातना के कारण ही उसके पति की मृत्यु हुई. अदालत के समक्ष राहुल मेहरा ने कहा कि पुलिस विधि विभाग से मंजूरी लेने के बाद ही अपील दायर कर सकती है. इस मामले में पुलिस ने मंजूरी नहीं ली.

हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार के रुख के चलते अपील का सवाल ही नहीं उठता. दिल्ली सरकार को अभियोजन के अधिकार हासिल हैं. एएसजी मनिंदर सिंह ने कहा कि दिल्ली पुलिस राज्य सरकार के अधीन नहीं है. दिल्ली सरकार के पास सीमित अधिकार हैं. कानून और व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन है. केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि अधिकारों को लेकर एक याचिका हाई कोर्ट में पेंडिंग है.आदेश के साथ ही जस्टिस केहर ने इस केस से अपने आपको अलग कर लिया. जस्टिस केहर ने कहा कि अगली सुनवाई के लिए एक नई बेंच का गठन करना होगा.

सुप्रीम कोर्ट को इस समय सिर्फ यह बात तय करनी है कि हाई कोर्ट किसी गवाह के बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज करने का आदेश दे सकता है या नहीं. बेंच ने दोनों वकीलों की बहस में हस्तक्षेप करते हुए एएसजी से कहा कि वह याचिका की एक प्रति राहुल मेहरा को दे. अदालत ने यह मामला दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.