क्या कमजोर आप गुजरात चुनाव से डर गई है?

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अभी तक गुजरात चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी के भीतर कोई अंतिम राय नहीं बन सकी है लेकिन इस बात की संभावना है कि जीतने की संभावना वाली सीटों पर पार्टी  उम्मीदवार खड़ा करेगी।

अखिलेश अखिल, वरिष्ठ पत्रकार/नई दिल्ली

क्या अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी गुजरात में चुनाव लड़ेगी ? अभी हाल में ही गुजरात में सभी विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी कार्यकर्ताओं से जानकारी एकत्रित कर क्षेत्रवार रिपोर्ट आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को सौंपी गयी है। इस रिपोर्ट के आधार पर माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी इस साल के अंत में होने वाले गुजरात चुनाव में मजबूती के साथ उतरने की रणनीति पर अभी कायम नहीं हो पायी है। माना जा कि पार्टी के कुछ नेता की चाहत है कि इस बार गुजरात चुनाव नहीं लड़ा जाय जबकि पार्टी के कुछ नेता चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं। एक तीसरे धरे के नेताओं के तरफ से भी फीड है कि जहा-जहा जीत की संभावना है वहा चुनाव लड़ा जाय। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अभी तक गुजरात चुनाव को लेकर पार्टी के भीतर कोई अंतिम राय नहीं बन सकी है लेकिन इस बात की संभावना है कि जीतने की संभावना वाली सीटों पर पार्टी  उम्मीदवार खड़ा करेगी।
पार्टी की गुजरात इकाई के प्रभारी गोपाल राय ने राज्य के नेताओं के साथ दो दिन तक बैठक की है जहां मौजूदा राजनीतिक हालात, कांग्रेस की संभावनाओं, मुख्य विपक्ष और किसानों से जुड़े मुद्दों समेत कई पहलुओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया है । हाल ही में राज्य में पाटीदार और दलित आंदोलन और इसका राज्य के चुनावों पर संभावित प्रभावों पर भी विस्तार से चर्चा हुई। पिछले सप्ताह पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने किसानों के मुद्दे पर गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में अपने प्रदर्शन को तेज करने का फैसला किया था। लेकिन गुजरात से मिले फीडबैक पार्टी के लिए अभी लाभदायक नहीं दिख रहे हैं। गुजरात में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। मध्यप्रदेश में 2018 के अंत तक चुनाव होंगे। आप नेता ने कहा, ‘‘गुजरात पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। इस समय चुनाव लड़ने, नहीं लड़ने से लेकर कुछ सीटों पर लड़ने तक, तरह तरह की राय हैं।

आम आदमी पार्टी की नजर शुरू से ही छोटे छोटे राज्यों में अपनी हालत ठीक करने की रही है। इसी सोच के तहत पार्टी गोवा और पंजाब के चुनाव में उतर पायी थी।  पंजाब में तो पहले सब कुछ आप के पक्ष में दिख रहा था लेकिन चुनाव परिणाम पार्टी के पक्ष में नहीं आ सके। लेकिन आप को पंजाब में मुख्य विपक्ष की कुर्सी मिल गयी। उधर गोवा में  भारी हार हुयी। इन दो चुनाव के बाद दिल्ली नगर निगम चुनाव में पार्टी को भारी निराशा हाथ लगी है। फिर पार्टी के भीतर की राजनीति से आप अभी बुरे दौर से भी गुजर रही है। ऐसे में गुजरात में पार्टी की कमजोर हालत और जीत की कमजोर संभावना पार्टी को सकते में डाल दिया है। माना जा रहा है कि गुजरात में आप की पूरी रणनीति उन सीटों को जितने पर होगी जहा पार्टी का जनाधार मजबूत हो सका है।

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