जीएसटी से बदल जाएगी व्यापारियों की जिंदगी

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जीएसटी आने से सिर्फ इंडस्ट्री और कंज्यूमर को फायदा नहीं होगा बल्कि मालढुलाई भी 20 फीसदी सस्ती हो जाएगी। जाहिर है इसका फायदा आम उपभोक्ता से लेकर लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री तक को होगा। यही वजह है कि लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री भी जीएसटी बिल का बेसब्री से इंतजार कर रही है।

संवाददाता/नई दिल्ली

जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स अब हकीकत बनने के बेहद करीब है। ये एक ऐसा टैक्स है जो टैक्स के भारी जाल से मुक्ति दिलाएगा। जीएसटी आने के बाद बहुत सी चीजें सस्ती हो जाएगी, हांलाकि कुछ जेब पर भारी भी पड़ेंगी। लेकिन सबसे बड़ा फायदा होगा कि टैक्स का पूरा सिस्टम आसान हो जाएगा। 18 से ज्यादा टैक्सों से मिलेगी मुक्ति और पूरे देश में होगा सिर्फ एक टैक्स जीएसटी। जाहिर है जीएसटी को लेकर सभी के मन में ढ़ेर सारे सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर कैसे काम करेगा ये जीएसटी तो जीएसटी से जुड़े हर सवाल का जवाब आज आपको मिलेगा सीएनबीसी-आवाज़ पर।

अगर हम कहें कि कार सस्ती हो जाएगी। रेस्तरां में खाना जेब पर भारी नहीं पड़ेगा। तो शायद आप यकीन नहीं करेंगे। क्योंकि इस महंगाई के दौर में हर चीजें महंगी हो रही हैं तो ये सब सस्ता कैसे हो जाएगा। लेकिन ऐसा मुमकिन है। और वो सब जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स की बदौलत। जी हां ये वही जीएसटी है जिसे लेकर इन दिनों संसद से लेकर सड़क तक चर्चा हो रही है। लेकिन आखिर ये जीएसटी है क्या और इससे हमारी आपकी जिदंगी पर क्या असर पड़ने वाला है। ये जानना बेहद जरूरी है। हम बेहद आसान तरीके से समझा रहे हैं जीएसटी की बारीकियां।

क्या आपने कभी सोचा है कि जो सामान आप खरीदते हैं उसपर आप कितना टैक्स भरते हैं। और कितने तरह के टैक्स भरते हैं। शायद नहीं। जानेंगे तो शायद आप हैरान रह जाएंगे। आप तक पहुंचने से पहले सामान पहले फैक्ट्री में बनता है। फैक्ट्री से निकलते ही इस पर सबसे पहले लगती है एक्साइज ड्यूटी। कई मामलों में एडिशनल एक्साइज ड्यूटी भी लगती है। इसके अलावा आपके टैक्स का एक बड़ा हिस्सा होता है सर्विस टैक्स। अगर रेस्तरां में खाना खाते हैं, मोबाइल बिल मिलता है या क्रेडिट कार्ड का बिल आता है, तो हर जगह ये लगाया जाता है जो 14.5 फीसदी तक होता है।

जैसे ही सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में जाता है तो सबसे पहले देना होता है एंट्री टैक्स। इसके अलावा अलग-अलग मामलों में अलग-अलग सेस भी लगता है। एंट्री टैक्स के बाद उस राज्य में वैट यानी सेल्स टैक्स लगता है। जो अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है। इसके अलावा अगर इन सामान का नाता रिश्ता अगर एंटरटेनमेंट से है तो एंटरटेनमेंट या लग्जरी टैक्स भी लगता है। साथ ही कई मामलों में परचेज टैक्स भी देना होता है।

टैक्स का सिलसिला यहीं नही रुकता। अभी तो हमने सिर्फ वो टैक्स बताएं हैं जो बड़े-बड़े हैं। बल्कि कई टैक्स तो ऐसे हैं जो हमने गिनाए ही नहीं। एक रिपोर्ट के मुताबिक अलग-अलग 18 टैक्स आमतौर पर लगते हैं। लेकिन जीएसटी आने के बाद ही ये सारे टैक्स एक झटके में खत्म हो जाएंगे। और इसकी जगह लगेगा सिर्फ और सिर्फ एक टैक्स जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स।

अब आप पूछेंगे कि क्या सिर्फ टैक्स की संख्या कम होगी या टैक्स भी कम होगा। सरकार ने पिछले दिनों एक रिपोर्ट तैयार कराई थी उसमें कहा गया था कि अभी औसतन 24 फीसदी टैक्स सामान पर लगता है। लेकिन जीएसटी के बाद अगर स्टैंडर्ड रेट लगाएं तो ये 17-18 फीसदी रह जाएगा। है ना काम की बात।

जीएसटी लागू होने से क्या सस्ता होगा और क्या महंगा। ये तो तब फाइनल होगा जब सरकार ये तय कर देगी कि किस सामान पर जीएसटी के तहत टैक्स की दरें क्या होंगी। इस बीच काफी हद तक संभावना है कि सरकार अरविंद सुब्रह्मणियम कमेटी की सिफारिशों को ही आधार बनाए। कमेटी के मुताबिक जीएसटी के तहत टैक्स की न्यूनतम दर 12 फीसदी रखी जाए। और टैक्स छूट का दायरा कम किया जाए। इन सिफारिशों को अगर मान लिया गया तो कई सामान पर जिनपर अभी टैक्स नहीं लगता है या फिर बहुत कम टैक्स लगता है वो महंगी हो जाएंगी।

मसलन, चाय, कॉफी, कई डब्बा बंद फूड प्रोडक्ट महंगे हो सकते हैं। इन प्रोडक्ट पर अभी या तो ड्यूटी नहीं लगती है या फिर जहां लगती है वो मुश्किल से 4-6 फीसदी तक होती है। लेकिन अगर सरकार लोअर रेट पर भी जीएसटी लगती है तो वो 12 फीसदी हो जाएगी। इसी तरह जेम्स एंड ज्वैलरी महंगी हो सकती है। जिसपर अभी मुश्किल से कुल ड्यूटी 3 फीसदी लगती है। रेडिमेड गारमेंट महंगे हो सकते हैं क्योंकि अभी इन पर 4-5 फीसदी का स्टेट वैट लगता है।

एक और चीज जिसका महंगा होना लगभग तय है वो है सर्विसेज। यानी मोबाइल फोन का बिल, क्रेडिट कार्ड का बिल या फिर ऐसी दूसरी सेवाएं महंगी हो सकती हैं। क्योंकि अभी सर्विसेज पर अधिकतम 14.5 फीसदी सर्विस टैक्स लगता है। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद ये 18 फीसदी तक हो सकता है।

इतना ही नहीं आप अभी कंपनियों के भारी भरकम डिस्काउंट का जितना फायदा उठाते हैं जीएसटी लागू होने के बाद उतना फायदा नहीं उठा सकेंगे। क्योंकि अभी डिस्काउंट के बाद जो कीमत होती है उस पर टैक्स लगता है। लेकिन जीएसटी के तहत छूट के बाद की कीमत पर नहीं बल्कि एमआरपी पर टैक्स लगेगा। मसलन, अगर 10000 रुपये का सामान कंपनी आपको 5000 रुपये में देती है तो अभी आपको करीब 600 रुपये टैक्स देने पड़ता है लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद आपको 1200 रुपये टैक्स चुकाना पड़ सकता है।

अब बारी है सस्ते सामानों की। अगर आप छोटी कारें या फिर मिनी एसयूवी खरीदना चाहते हैं तो बता दें कि जीएसटी लागू होने के साथ ये 45000 रुपये तक सस्ती हो जाएंगी। क्योंकि अभी इन गाड़ियों पर कुल 30-44 फीसदी तक टैक्स लगता है। लेकिन जीएसटी के तहत इन पर स्टैंडर्ड रेट 18 फीसदी टैक्स लगने की संभावना है। रेस्तरां का बिल भी कम हो जाएगा। क्योंकि अभी रेस्तरां में वैट और सर्विस टैक्स दोनों लगता है। लेकिन जीएसटी के तहत सिर्फ एक टैक्स लगेगा।

इसी तरह घर खरीदना हो या फिर ऐसी कोई दूसरी लेनदेन करनी हो जहां वैट और सर्विस टैक्स दोनों लगते हैं, जीएसटी लगने के बाद ये सस्ता हो सकता है। एयरकंडीशन, पंखे, माइक्रोवेव ओवन, फ्रीज, वाशिंग मशीन जैसे कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सस्ते हो सकते हैं। क्योंकि अभी इन पर सामान्य तौर पर 12.5 फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगती है जबकि 14.5 फीसदी तक वैट लगता है जबकि जीएसटी लागू होने के बाद सिर्फ एक टैक्स 17-18 फीसदी लगेगा। हालांकि किस सामान पर कितना टैक्स लगाया जाएगा ये फैसला जीएसटी काउंसिल करेगी। जिसमें केंद्र और राज्य के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। और इसपर अभी लंबी चौड़ी बहस होना बाकी है।

जीएसटी आने से सिर्फ इंडस्ट्री और कंज्यूमर को फायदा नहीं होगा बल्कि मालढुलाई भी 20 फीसदी सस्ती हो जाएगी। जाहिर है इसका फायदा आम उपभोक्ता से लेकर लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री तक को होगा। यही वजह है कि लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री भी जीएसटी बिल का बेसब्री से इंतजार कर रही है। अगर जीएसटी पूरी तरह से लागू किया गया तो सबसे ज्यादा फायदा इंडस्ट्री को होने वाला है। क्योंकि जीएसटी युग में उन्हें अलग-अलग करीब 18 टैक्स नहीं भरने होंगे। टैक्स भरने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। और टैक्स का बोझ भी काफी कम हो जाएगा।अगर हम कहें कि कार सस्ती हो जाएगी। रेस्तरां में खाना जेब पर भारी नहीं पड़ेगा। तो शायद आप यकीन नहीं करेंगे। क्योंकि इस महंगाई के दौर में हर चीजें महंगी हो रही हैं तो ये सब सस्ता कैसे हो जाएगा। लेकिन ऐसा मुमकिन है। और वो सब जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स की बदौलत। जी हां ये वही जीएसटी है जिसे लेकर इन दिनों संसद से लेकर सड़क तक चर्चा हो रही है। लेकिन आखिर ये जीएसटी है क्या और इससे हमारी आपकी जिदंगी पर क्या असर पड़ने वाला है। ये जानना बेहद जरूरी है। हम बेहद आसान तरीके से समझा रहे हैं जीएसटी की बारीकियां।

क्या आपने कभी सोचा है कि जो सामान आप खरीदते हैं उसपर आप कितना टैक्स भरते हैं। और कितने तरह के टैक्स भरते हैं। शायद नहीं। जानेंगे तो शायद आप हैरान रह जाएंगे। आप तक पहुंचने से पहले सामान पहले फैक्ट्री में बनता है। फैक्ट्री से निकलते ही इस पर सबसे पहले लगती है एक्साइज ड्यूटी। कई मामलों में एडिशनल एक्साइज ड्यूटी भी लगती है। इसके अलावा आपके टैक्स का एक बड़ा हिस्सा होता है सर्विस टैक्स। अगर रेस्तरां में खाना खाते हैं, मोबाइल बिल मिलता है या क्रेडिट कार्ड का बिल आता है, तो हर जगह ये लगाया जाता है जो 14.5 फीसदी तक होता है।

जैसे ही सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में जाता है तो सबसे पहले देना होता है एंट्री टैक्स। इसके अलावा अलग-अलग मामलों में अलग-अलग सेस भी लगता है। एंट्री टैक्स के बाद उस राज्य में वैट यानी सेल्स टैक्स लगता है। जो अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है। इसके अलावा अगर इन सामान का नाता रिश्ता अगर एंटरटेनमेंट से है तो एंटरटेनमेंट या लग्जरी टैक्स भी लगता है। साथ ही कई मामलों में परचेज टैक्स भी देना होता है।

टैक्स का सिलसिला यहीं नही रुकता। अभी तो हमने सिर्फ वो टैक्स बताएं हैं जो बड़े-बड़े हैं। बल्कि कई टैक्स तो ऐसे हैं जो हमने गिनाए ही नहीं। एक रिपोर्ट के मुताबिक अलग-अलग 18 टैक्स आमतौर पर लगते हैं। लेकिन जीएसटी आने के बाद ही ये सारे टैक्स एक झटके में खत्म हो जाएंगे। और इसकी जगह लगेगा सिर्फ और सिर्फ एक टैक्स जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स।

अब आप पूछेंगे कि क्या सिर्फ टैक्स की संख्या कम होगी या टैक्स भी कम होगा। सरकार ने पिछले दिनों एक रिपोर्ट तैयार कराई थी उसमें कहा गया था कि अभी औसतन 24 फीसदी टैक्स सामान पर लगता है। लेकिन जीएसटी के बाद अगर स्टैंडर्ड रेट लगाएं तो ये 17-18 फीसदी रह जाएगा। है ना काम की बात।

जीएसटी लागू होने से क्या सस्ता होगा और क्या महंगा। ये तो तब फाइनल होगा जब सरकार ये तय कर देगी कि किस सामान पर जीएसटी के तहत टैक्स की दरें क्या होंगी। इस बीच काफी हद तक संभावना है कि सरकार अरविंद सुब्रह्मणियम कमेटी की सिफारिशों को ही आधार बनाए। कमेटी के मुताबिक जीएसटी के तहत टैक्स की न्यूनतम दर 12 फीसदी रखी जाए। और टैक्स छूट का दायरा कम किया जाए। इन सिफारिशों को अगर मान लिया गया तो कई सामान पर जिनपर अभी टैक्स नहीं लगता है या फिर बहुत कम टैक्स लगता है वो महंगी हो जाएंगी।

मसलन, चाय, कॉफी, कई डब्बा बंद फूड प्रोडक्ट महंगे हो सकते हैं। इन प्रोडक्ट पर अभी या तो ड्यूटी नहीं लगती है या फिर जहां लगती है वो मुश्किल से 4-6 फीसदी तक होती है। लेकिन अगर सरकार लोअर रेट पर भी जीएसटी लगती है तो वो 12 फीसदी हो जाएगी। इसी तरह जेम्स एंड ज्वैलरी महंगी हो सकती है। जिसपर अभी मुश्किल से कुल ड्यूटी 3 फीसदी लगती है। रेडिमेड गारमेंट महंगे हो सकते हैं क्योंकि अभी इन पर 4-5 फीसदी का स्टेट वैट लगता है।

एक और चीज जिसका महंगा होना लगभग तय है वो है सर्विसेज। यानी मोबाइल फोन का बिल, क्रेडिट कार्ड का बिल या फिर ऐसी दूसरी सेवाएं महंगी हो सकती हैं। क्योंकि अभी सर्विसेज पर अधिकतम 14.5 फीसदी सर्विस टैक्स लगता है। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद ये 18 फीसदी तक हो सकता है।

इतना ही नहीं आप अभी कंपनियों के भारी भरकम डिस्काउंट का जितना फायदा उठाते हैं जीएसटी लागू होने के बाद उतना फायदा नहीं उठा सकेंगे। क्योंकि अभी डिस्काउंट के बाद जो कीमत होती है उस पर टैक्स लगता है। लेकिन जीएसटी के तहत छूट के बाद की कीमत पर नहीं बल्कि एमआरपी पर टैक्स लगेगा। मसलन, अगर 10000 रुपये का सामान कंपनी आपको 5000 रुपये में देती है तो अभी आपको करीब 600 रुपये टैक्स देने पड़ता है लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद आपको 1200 रुपये टैक्स चुकाना पड़ सकता है।

अब बारी है सस्ते सामानों की। अगर आप छोटी कारें या फिर मिनी एसयूवी खरीदना चाहते हैं तो बता दें कि जीएसटी लागू होने के साथ ये 45000 रुपये तक सस्ती हो जाएंगी। क्योंकि अभी इन गाड़ियों पर कुल 30-44 फीसदी तक टैक्स लगता है। लेकिन जीएसटी के तहत इन पर स्टैंडर्ड रेट 18 फीसदी टैक्स लगने की संभावना है। रेस्तरां का बिल भी कम हो जाएगा। क्योंकि अभी रेस्तरां में वैट और सर्विस टैक्स दोनों लगता है। लेकिन जीएसटी के तहत सिर्फ एक टैक्स लगेगा।

इसी तरह घर खरीदना हो या फिर ऐसी कोई दूसरी लेनदेन करनी हो जहां वैट और सर्विस टैक्स दोनों लगते हैं, जीएसटी लगने के बाद ये सस्ता हो सकता है। एयरकंडीशन, पंखे, माइक्रोवेव ओवन, फ्रीज, वाशिंग मशीन जैसे कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सस्ते हो सकते हैं। क्योंकि अभी इन पर सामान्य तौर पर 12.5 फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगती है जबकि 14.5 फीसदी तक वैट लगता है जबकि जीएसटी लागू होने के बाद सिर्फ एक टैक्स 17-18 फीसदी लगेगा। हालांकि किस सामान पर कितना टैक्स लगाया जाएगा ये फैसला जीएसटी काउंसिल करेगी। जिसमें केंद्र और राज्य के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। और इसपर अभी लंबी चौड़ी बहस होना बाकी है।

जीएसटी आने से सिर्फ इंडस्ट्री और कंज्यूमर को फायदा नहीं होगा बल्कि मालढुलाई भी 20 फीसदी सस्ती हो जाएगी। जाहिर है इसका फायदा आम उपभोक्ता से लेकर लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री तक को होगा। यही वजह है कि लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री भी जीएसटी बिल का बेसब्री से इंतजार कर रही है। अगर जीएसटी पूरी तरह से लागू किया गया तो सबसे ज्यादा फायदा इंडस्ट्री को होने वाला है। क्योंकि जीएसटी युग में उन्हें अलग-अलग करीब 18 टैक्स नहीं भरने होंगे। टैक्स भरने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। और टैक्स का बोझ भी काफी कम हो जाएगा।

Note: moneycontrol.com वेबसाइट से साभार

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