राष्ट्रपति चुनाव: दलित कार्ड क्यों चला भाजपा ने?

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राष्ट्रपति बनने का रास्ता वाया बिहार !

ईश्वर करुण चेन्नई, फिलहाल बिहार यात्रा से

राष्ट्रपति के उम्मीदवार का नाम NDA द्वारा घोषित कर दिया गया है …श्री रामनाथ कोविंद ! माननीय रामनाथ कोविंद जी वर्तमान में बिहार के राज्यपाल हैं यानी प्रथम बिहारी नागरिक ! अब भारत के प्रथम नागरिक बनने के रास्ते पर हैं ! बिहारी राजनीति को बड़ी कुशलता से साधा है! लालूजी और नीतीशजी की जोड़ी की अनूठी राजनीति! ऊपर से केंद्र सरकार की विरोधी पार्टी की बिहार सरकार के बीच तालमेल बिठाकर चलना दुधारी तलवार पर चलने जैसा! इस राजनीतिक कौशल को दिखाने का प्लेटफार्म बिहार ही तो है! योग्य तो हैं ही पर योग्यता तो बिहार में ही झलकी! अन्य जो नाम चल रहे थे वे सभी सक्रिय राजनीति में हैं! जहाँ तक झारखंड की राज्यपाल माननीया द्रौपदी मुर्मू जी की बात रही तो इसी तालमेली कौशल में वे पिछड़ गयीं,महिला होना उल्लेखनीय नहीं रहा !.. रह गयी आदिवासी होने की बात …तो श्री कोविंद दलित वर्ग के हैं ही! ऊपर से उत्तर प्रदेश के हैं,जहाँ से मुलायम सिंह यादव जी ने NDAउम्मीदवार को समर्थन देने की बात कही है और मायावती जी के सामने भी समर्थन के अलावा कोई रास्ता नहीं है! लालू जी और नीतीश जी भी बहुत विरोधी तेवर नहीं अपनाएँगे! अन्यान्य राजनैतिक पार्टियाँ भी देर सबेर समर्थन में उतरेंगी ही !जहाँ तक आर एस एस की बात है तो श्री कोविंद उनकी ही पसंद से राज्यपाल कोटा में आए हैं!
यानी कुल मिलाकर बिहारी राजनीति ही सिर चढ़कर बोली! बिहारी दलित पार्टी लाइन से परे इनके समर्थन में जुटने लगे ही हैं !यानी बिहार में ही बीजेपी ने बिहारी राजनीति करने वालों को पटखी दे दी! विपक्ष का ब्यूह क्षत विक्षत तो हो ही गया! महात्मा गाँधी के “पौत्र” पर महात्मा गाँधी का ही “हरिजन” भारी पड़ा!

राष्ट्रपति उम्मीदवार पर मीडिया के बड़े बड़े धुरंधर की बयानबाजी बेकार

विपक्ष पर भारी: बीजेपी का यह फैसला दलित राजनीति को अपने पक्ष में लाने में कारगर हो सकता है। कोई विपक्षी दल दलित उम्मीदवार के विरोध में अभी जाने के बारे में सोच नहीं सकता। जो भी दल दलित राष्ट्रपति उम्मीदवार के विरोध में जाने की बात करेगा, बीजेपी की राजनीति उसे घेरने की हो सकती है।
राजनीतिक संवाददाता/नई दिल्ली

पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष शाह की जोड़ी ने आज सबको चौंका दिया। राष्ट्रपति उम्मीदवार का नाम जैसे ही सामने आया मीडिया के बड़े बड़े धुरंधर की बयानबाजी बेकार चली गयी। सत्ता की दलाली हांफने लगी और और सबसे पहले सूचना देने वाली मीडिया मोदी-शाह के फैसले के सामने धूल फांकने लगे। मोदी पहले भी अपने फैसले से सबको चौंकाते थे, आज भी चौंका गए। बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोबिंद का नाम सामने लाकर बीजेपी ने भविष्य की संभावित राजनीति पर प्रहार करने की कोशिश की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी की संसदीय बोर्ड की बैठक ने बिहार के मौजूदा राज्यपाल रामनाथ कोविंद को एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। कानपुर के रहने वाले कोविंद दलित समुदाय से आते हैं। वह 12 साल तक राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। कोविंद दलित और पिछड़े वर्गों के लिए हमेशा संघर्ष करते रहे हैं। कोविंद कोली समुदाय से आते हैं और उनकी उम्र 71 साल है। कोविंद राष्ट्रपति पद के लिए 23 जुलाई को अपना नामांकन दाखिल कर सकते हैं।
संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को फोन कर इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने राम नाथ कोविंद के नाम पर सहमित बनाए जाने की उम्मीद जताई। बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह की तरफ से नियुक्त की गई तीन सदस्यीय समिति ने सभी विपक्षी दलों के अलावा एनडीए के सहयोगी दलों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार बनाया। संसदीय बोर्ड की बैठक के साथ ही पार्टी ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए पार्टी विधायकों और सांसदों को दिल्ली बुला लिया है।
गौरतलब है कि रविवार को केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा था कि 23 जून से पहले राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। शाह ने कहा कि अभी तक पार्टी ने उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। बीजेपी का यह फैसला दलित राजनीति को अपने पक्ष में लाने में कारगर हो सकता है। कोई विपक्षी दल दलित उम्मीदवार के विरोध में अभी जाने के बारे में सोच नहीं सकता। जो भी दल दलित राष्ट्रपति उम्मीदवार के विरोध में जाने की बात करेगा, बीजेपी की राजनीति उसे घेरने की हो सकती है। बीजेपी के इस फैसले के बाद देश में दलितों के ऊपर हो रहे हमले की राजनीति पर क्या फर्क पड़ेगा, इसे देखना होगा लेकिन बीजेपी का यह दलित कार्ड विपक्ष को भी भौंचक कर दिया है।

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