नींद के लिए उचित शारीरिक व मानसिक वातावरण बनाना जरूरी

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अनिद्रा के इलाज के लिए आवश्यक चीज़ों में से एक है उचित शारीरिक और मानसिक वातावरण बनाना। हमने अनुभव किया है कि मंदिर जाने पर मंदिर द्वार के ठीक बाहर तक अलग महसूस होता है लेकिन अंदर प्रवेश करते ही श्रद्धा भक्ति आदि भावनाएं और भी प्रबल हो जाती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मंदिर के अंदर का धार्मिकता से भरा पवित्र वातावरण हमारे अंतर्मन / मनोविज्ञान पर प्रभाव डालता है।

# अनामिका राजे # नई दिल्ली

योग चर्चा # अनिद्रा/तनाव उपचार विशेषांक, भाग-2

यादेवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमोनमः ।।
–श्रीदुर्गा सप्तशती , अध्याय 5, श्लोक16
 
भावार्थ :सभी जीवों में निद्रा के रूप में रहने वाली देवी को मैं बार-बार नमन करता हूँ।
संकल्प और मनोयोग के साथ इस मंत्र का जप करने से एक मानसिक लय बनती है जो नींद आने में सहायक है।
 
तो आपने देखा कि इस भाग का आरंभ मैंने मंत्र से किया जो कि ध्वनि विज्ञान पर आधारित है। संकल्प और मंत्र के शब्दों की ऊर्जा के महत्व को पौराणिक कथाओं में भली भांति समझाया गया है।
कथा है कि रावण जब अमरत्व के लिये तप कर रहा था तो उसके भाई कुंभकर्ण ने महत्वाकांक्षा वश इंद्रासन की इच्छा की लेकिन देवी सरस्वती ने उसकी जीभ को बांध दिया जिसके कारण वह इंद्रासन की जगह निद्रासन मांग बैठा।
वहीं लक्ष्मण अपनी संकल्प शक्ति से सेवा धर्म के लिए 14 वर्षों तक नहीं सोए और इतना ही नहीं ! कथा कहती है कि लक्ष्मण के बदले उर्मिला 14 वर्षों तक सोती रहीं!
कथाओं की भाषा सांकेतिक होती है जो जीवन में हर कदम पर मार्ग दर्शन करती हैं और अनिद्रा आदि के संदर्भ में सिखाती हैं कि सावधानी के साथ दृढ संकल्प लेकर मनोयोग से जो चाहा जाए वह संभव है।
 
अनिद्रा के इलाज के लिए आवश्यक चीज़ों में से एक है उचित शारीरिक और मानसिक वातावरण बनाना। हम सभी ने अनुभव किया है कि मंदिर जाने पर मंदिर द्वार के ठीक बाहर तक अलग महसूस होता है लेकिन अंदर प्रवेश करते ही श्रद्धा भक्ति आदि भावनाएं और भी प्रबल हो जाती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मंदिर के अंदर का धार्मिकता से भरा पवित्र वातावरण हमारे अंतर्मन / मनोविज्ञान पर प्रभाव डालता है।
इसी प्रकार हमारा सोने का स्थान निद्रा रूपी दैवीय ऊर्जा के मंदिर जैसा है जिसका पूरा सम्मान करने से सुखद नींद के लिये मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि तैयार होती है।
नींद पर इस आध्यात्मिक दृष्टिकोण के साथ आज बस इतना ही।

(शेष पढ़ें अगली किश्त में)

P.S. : लेख में दी उबासी वाली तस्वीर को अपनी नज़रों के सामने रखकर शान्त वातावरण में 5 मिनट तक ध्यान से देखें और अपना अनुभव अवश्य शेयर करें।
Shanker Muni Rai तार्किक एवं मनोवैग्यानीक भी! उबासी देखकर उबासी आना मनोवैग्यानिक कारण है। इसलिए ऐसी तस्वीरें सिर्फ शयनकक्ष में ही होनी चाहिए।

इस स्टोरी के प्रकाशित होने पर फेसबुक पर आई टिप्पणियों में से कुछ यहां भी:

Amita Sharma
Amita Sharma: उबासी वाली तस्वीर कुछ देर तक लगातार देखने के बाद मुझे भी 2 बार उबासी आयी,और मै थोडी देर गहरी नींद में सो गई।अनामिका का अनुभव बिल्कुल सटिक और आजकल के अनिद्रा वाली परिस्थिति से जूझते लोगो के लिये वरदान साबित होगा। Abhinit Onam: बहुत अच्छी जानकारी और मंत्र से शुरूआत बहुत ही अच्छा और प्रभावशाली है । अच्छा लगा पढ़कर और कोशिश होगी इसे अपने जीवन में उतारने की क्युकी आज के अधिकतर युवा सारी रात जागने के कारण इस के शिकार है,
Ajay Sharma Baba: लेखन किस स्तर और मानक का है इसकी समीक्षा लोकव्यवहार में आने वाला अंतर ही सबसे अच्छी तरह व्यक्त कर देता है। और सच मानिए फोटो देख कर अभ्यास या अनुभूति तक तो पंहुचने की बात तो अलग है मैं तो पोस्ट देखकर ही नींद में आ गया। बहरहाल बहुत अच्छी पोस्ट अनीकरणीय।
Awadhesh Roy: अच्छी नींद के लिए मानसिक और शारीरिक समन्यवता का होना बहुत आवश्यक है । साथ भी दृढ़ निश्चय इसमें सहायक होती है । परन्तु ,आज की परिस्थिति और वातावरण में प्रायः दस में आठ व्यक्ति अनिंद्र से ग्रसित है, क्योंकि ये हर पल मानसिक तनाव में उलझे रहते हैं ।
Bhavna Bhatt Sharma: बेहतरीन उम्दा लेख इसके अतिरिक्त एक मां होने के नाते नींद का एक और तरीका भी है जिस सभी माएं जानती हैं मुझे जब कभी नींद नहीं आती तो मैं अपने दोनों बच्चों को अपनी बगल में लेटा लेती हूं और उसके बाद उन्हें सुलाते हुए मेरी आंख कब लग जाती है पता ही नहीं चलता
Geeta Bhatt: बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने ।तो क्या उबासी वाली चित्र कमरे में लगा ली जाए? कृपया बताइए
Kiran Sharma: बहुत ही सुन्दर कहानी,हर किसी को जागन है,और मन से जागना है न कि जागने के बहाने सब खो देना है, नींद इस शरीर के लिए उतनी ही उपयोगी है, जीतना की जिंदगी जीने के लिए हर कार्य जरूरी है, बहुत ही सुन्दर कहानी
Pramod Chandra Sharma: पूरा ग्रुप है कि पूरे समाज को जगाने का प्रयास कर रहा है और एक आप…….
Priyanka Roy: ज्ञानवर्धक व बहुउपयोगी लेखन…👍
Roy Tuhin Kumar
Roy Tuhin Kumar माहौल का सदैव प्रभाव पडता है,चाहे वह मंदिर का हो,घर का हो या गुरुकुल या योग संस्थान का।शांत और संतुष्ट जनों को सदैव यथोचित निद्रा आती है।
Sangita Roy: नींद का पूर्ण होना अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकता है।मेहनत कश इंसान दिन भर काम करके कहीं भी सो जाता है।आज कल की जीवनशैली नींद को बहुत प्रभावित करती है।
“Early to bed and early to rise makes a man healthy wealthy and wise ” वाला कंसेप्ट ही अब खत्म होता जा रहा है कारण सभी को पता ही है। विशेष परिस्थितियों में जिन्होने निंद्रा पर विजय प्राप्त कर ली हो वो अलग बात है। अर्जुन को यूँ ही गुडाकेश नहीं कहा जाता।
Tripurari Roy: निद्रा का आना ना आना परिस्थितिवश है। लोग अपने लक्ष्य के प्राप्ति हेतु भी इसे त्यागते हैं या कम करते हैं। किंतु कभी- कभी मनोवेग के कारण निद्रा नहीं आना एक रोग भी बन जाता है जिसे संयमित होकर दूर किया जा सकता है।

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