रातोंरात चीन ने हिमाचल से लगी सीमा पर बना ली 20 किमी लंबी रोड

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चीन रात के अंधेरे में तेज गति से खेमकुल्ला पास की ओर सड़क का निर्माण कर रहा है, चीन की तरफ से रात के समय ड्रोन भी आ रहे हैं। लोगों ने चीन की तरफ कराए जा रहे सड़क निर्माण के नो मेंस लैंड में होने की आशंका जताई है

शिमला: कम्युनिस्ट देश चीन से सही खबरें बहुत कम मिलती है। पर हिमाचल से सटी सीमा से चौंकाने वाली खबर आ रही है। मोरंग घाटी क्षेत्र के आखिरी गांव कुन्नू चारंग के ग्रामीणों का दावा है कि चीन रात के अंधेरे में तेज गति से खेमकुल्ला पास की ओर सड़क का निर्माण कर रहा है। भारत से लनावपूर्ण संबंधों के बीच चीन की तरफ से रात के समय ड्रोन भी आ रहे हैं।
लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन के साथ हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद तनाव कम करने की कोशिशों के बीच अब चीन हिमाचल प्रदेश से लगती सीमा पर सड़क निर्माण कर रहा है। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले का कुन्नु चारंग अंतिम सीमावर्ती गांव है। कुन्नू चारंग के ग्रामीणों ने चीनी क्षेत्र में रेकी करने के बाद यह दावा किया है कि पिछले दो महीने में चीन ने सीमा के करीब 20 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कर लिया है। 
मोरंग घाटी क्षेत्र के आखिरी गांव कुन्नू चारंग के ग्रामीणों का दावा है कि चीन रात के अंधेरे में तेज गति से खेमकुल्ला पास की ओर सड़क का निर्माण कर रहा है। चीन की तरफ से रात के समय ड्रोन भी आ रहे हैं। लोगों ने चीन की तरफ कराए जा रहे सड़क निर्माण के नो मेंस लैंड में होने की आशंका जताई है।
किन्नौर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) साजू राम राणा ने सीमावर्ती गांवों में ड्रोन आने की पुष्टि की है। सड़क निर्माण को लेकर उन्होंने कहा कि इतनी लंबी सड़क कम समय में नहीं बन सकती। पर भारतीय सीमा क्षेत्र में ऐसा कुछ नहीं हो रहा। घबराने की जरूरत नहीं है। वहीं, कुन्नू चारंग गांव के प्रधान ने कहा कि कुछ ग्रामीण खेमकुल्ला पास गए थे और रेकी कर आने के बाद सीमा पार सड़क निर्माण की जानकारी दी।
 
उन्होंने कहा कि इतनी लंबी सड़क रातोरात तो बनी नहीं होगी। इसका निर्माण कई महीनों से कराया जा रहा होगा. ग्राम प्रधान ने इसे लेकर सुरक्षा एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। कुन्नू चारंग गांव चीन सीमा के करीब है. यहां तक पहुंचने के लिए अच्छी सड़क भी नहीं है। ग्रामीणों के पास मोबाइल फोन तो हैं, लेकिन कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण कहीं बात करनी हो तो लोगों को 14 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। 
 
बताया जाता है कि इस गांव के नौ लोगों का दल 16 खच्चर और पांच पोर्टर के साथ लगभग 22 किलोमीटर दूर सीमा की ओर गया था। इस दल के साथ चीन सीमा पर सुरक्षा के लिए तैनात इंडिया तिब्बत बॉर्डर पुलिस के कुछ जवान भी थे।  खेमकुल्ला पास पहुंच कर इस दल ने जब तिब्बत की ओर नजर दौड़ाई तो आंखें खुली की खुली रह गईं। 
 
चीन ने दो महीने में ही लगभग 20 किलोमीटर सड़क का निर्माण कर लिया है। इस दल के सदस्यों ने बताया कि पिछले साल अक्टूबर तक तिब्बत के आखिरी गांव तांगो तक ही सड़क थी, लेकिन बर्फ हटते ही पिछले दो महीनों में सरहद की ओर 20 किलोमीटर लंबी सड़क बन गई। 
 
दल के मुताबिक सांगली घाटी के छितकुल इलाके के करीब भी सरहद पार यमरंग ला की तरफ भी सड़क निर्माण जारी है। दल में शामिल रहे बलदेव नेगी, जेपी नेगी, विपिन कुमार, भागी राम, नीरज, मोहन आदि ने बताया कि सीमा से दो किलोमीटर दूर तक सड़क का निर्माण हो चुका है। बलदेव नेगी ने कहा कि सीमा पार हमने पांच पोकलेन और कई बड़े डंफर देखे, जो सड़क निर्माण में लगे थे। हमने छह दिन रेकी की और पाया कि रात होते ही पहले भारत की ओर ड्रोन भेजा जाता है, फिर विस्फोट की तेज आवाजें आती हैं। रात के अंधेरे में निर्माण की गतिविधियां तेज कर दी जा रही हैं।  उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी पुलिस-प्रशासन को भी दी गई, लेकिन पुलिस उल्टे उन्हें ही प्रताड़ित कर रही है। 
 
ग्रामीणों का कहना है कि भारतीय क्षेत्र में सरहद के आसपास तक कौन कहे, चारंग गांव तक भी अच्छी सड़क नहीं है. चारंग से सीमा तक जाने के लिए दुर्गम पहाड़ी रास्तों से पैदल या खच्चर से 22 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है. इनका कहना है कि भेड़ पालने वालों को भी सीमा की ओर नहीं जाने दिया जाता। यदि भेड़ पालक पहले की तरह ऊंट से पहाड़ियों पर जाते तो सीमा पार की गतिविधियों की जानकारी भी समय-समय पर साझा करते रहते। 

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