कोरोना वायरस संकट के बीच चीन व ताइवान में जबरदस्त तनाव

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ताइवान ने न केवल कोरोना पर काबू पाने में सफलता हासिल की है, बल्कि वह अमेरिका, स्पेन, इटली और फ्रांस जैसे कई देशों को मेडिकल सहायता भी प्रदान कर रहा है। चीन की हरकतों को देखते हुए अमेरिका ने भी इलाके में अपने तीन युद्ध पोत भेजे हैं इसके बाद से ही इलाके में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है।

हांगकांग: कोरोना वायरस संकट के बीच चीन और ताइवान के विवाद तेजी से बढ़ रहा है। चीन के दक्षिण चीन सागर में ताइवान के नियंत्रण वाले दोंगशा द्वीप समूह पर कब्जा करने का युद्धाभ्यास करने का ऐलान करने के बाद तनाव और बढ़ा है। चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस ने जहां पूरी दुनिया को परेशान कर रखा है, वहीं ताइवान चीन की परेशानी बन गया है। महज 2.4 करोड़ की आबादी वाले इस देश ने कोरोना से लड़ाई में जिस कौशल का प्रदर्शन किया है, उसने अमेरिका सहित दुनिया को उसका कायल बना दिया है और यही बात चीन से हजम नहीं हो रही है।
 
ताइवान ने न केवल कोरोना पर काबू पाने में सफलता हासिल की है, बल्कि वह अमेरिका, स्पेन, इटली और फ्रांस जैसे कई देशों को मेडिकल सहायता भी प्रदान कर रहा है। वह इन देशों को एक करोड़ मास्क देने की घोषणा कर चुका है। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन का दुनिया के नाम संदेश है ‘एकजुटता बनाये रखना’, जिसे चीन से कभी सराहना नहीं मिल सकती। चीन की हरकतों को देखते हुए अमेरिका ने भी इलाके में अपने तीन युद्ध पोत भेजे हैं। इसके बाद से ही इलाके में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है।
 
चीन की हरकतों को देखते हुए अमेरिका ने भी इलाके में अपने तीन युद्ध पोत भेजे हैं
कोरोना संकट के बीच ताइवान और चीन को देखकर डेविड और गोलायथ की कहानी याद आ जाती है। जिस तरह से आकार में छोटा होने के बावजूद डेविड ने विशालकाय गोलिएथ को मात दी थी, उसी तरह ताइवान भी कोरोना से जंग में खुद को सफल योद्धा साबित करके दुनिया के समक्ष चीन को बौना साबित कर रहा है।
 
जनवरी की शुरुआत में, जब चीन कोरोनोवायरस के प्रकोप को छिपाने के लिए हाथ-पांव मार रहा था ताइवान ने संभावित खतरे को भांप कर उसके मुकाबले के लिए तैयारी भी शुरू कर दी थी। उसने जनवरी में अपने यहां पहले मामले की पुष्टि की और वुहान से आने वाले यात्रियों की बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग शुरू कर दी, ताकि वायरस के फैलाव को समय रहते रोका जा सके।
कोरोना से जंग में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यानी चीन को विभिन्न देशों और संस्थानों से सहायता लेनी पड़ी है जबकि दूसरी ओर, ताइवान के पास कोई सहायता नहीं थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी उस पर प्रतिबंध लगाये हुए थे। इसके बावजूद ताइवान ने खुद को चीन से बेहतर साबित करके दिखाया।
 
महज 376 मामले खतरे को देखते हुए ताइवान ने मास्क बनाने में मदद के लिए अपनी सेना को तैनात कर दिया है। आज, ताइवान रोज मास्क का उत्पादन कर रहा है। इतना ही नहीं यह द्वीप दुनिया के कुछ सबसे अमीर राष्ट्रों की भी सहायता कर रहा है। ताइवान में कोरोना वायरस के सिर्फ 376 मामले सामने आये हैं और पांच लोगों को ही अपनी जान गंवानी पड़ी है। ताइवान वुहान से निकले वायरस को रोकने में काफी हद तक सफल रहा है।

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