वार्ता विफल, लद्दाख सीमा पर युद्धाभ्यास कर तनाव बढ़ा रहा चीन, भारतीय फौज भी तैयार

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चीन की सेना ने हथियारों से लैस भारी वाहनों का भी प्रदर्शन किया। यह फोटो चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने दी।

यह गतिरोध 5 मई को पैंगोंग त्सो में दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़पें होने के बाद शुरू हुआ था। गतिरोध शुरू होने के बाद भारतीय सैन्य नेतृत्व ने फैसला किया कि भारतीय सेना पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी क्षेत्रों में चीनी सैनिकों की आक्रामक मुद्रा से निपटने के लिए सख्त दृष्टिकोण अपनाएगी।

राय तपन भारती/नई दिल्ली

khabar-india.com के संपादक राय तपन भारती: चीन मामलों के जानकार

लद्दाख सीमा पर चीन की नीयत सही नहीं लग रही है। भारत के साथ जारी तनाव के बीच चीन की सेना-PLA ने भारतीय सरहद के निकट युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है। चीनी वायुसेना भी यहाँ सक्रिय है जो पहले नहीं था। इस दौरान चीनी वायुसेना ने पैराट्रूपर्स को सरहद के नजदीक पहुंचाने की अपनी क्षमता को भी परखा। इस दौरान चीन की सेना ने हथियारों से लैस भारी वाहनों का भी प्रदर्शन किया। पर यह युद्धाभ्यास कुछ ही घंटे चला। यह जानकारी चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने दी है। शायद चीन की सत्ता धमकी भरा संदेश देना चाहती है कि भारत पर दबाव बने। भारत भी सरहद के भीतर अपनी जमीन को लेकर चौकस है और सेना का हर तरह का जवाब देने को तैयार है, हमारी वायुसेना भी लद्दाख की सरहद पर लगातार गश्त लगा रही है जो पहले कभी नहीं देखा गया।

चीन का ग्लोबल टाइम्स लिखता है,  चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने मध्य चीन के हुबेई प्रांत से चीन और भारत के बीच सीमा पर तनाव के बीच ऊंचाई वाले उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में हजारों पैराट्रूपर्स और बख्तरबंद वाहनों के साथ युद्धाभ्यास किया है। सीमा पर सैनिकों और हथियारों को जल्द से जल्द तैनाती की अपनी क्षमताओं को चीन ने परखा।  चीन से फैले कोरोना संक्रमण के कारण पूरी दुनिया परेशान है लेकिन ड्रैगन अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए अलग ही खेल खेल रहा है। भारत से सटी सीमा पर सैन्य झड़पों के बाद चीन ने न केवल अपने सैनिकों को बड़ी संख्या में सीमा के पास तैनात कर दिया है बल्कि युद्धाभ्यास की आड़ में सीमा के पास भारी हथियार भी तैनात कर दिया जिससे उसकी नीयत का पता चल गया। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि चीन तनाव के इस माहौल में एक कदम आगे की तैयारी करके चल रहा है।

इसके पहले कल शनिवार को भारत और चीन सीमा पर चल रहे विवाद को लेकर दोनों पक्षों के बीच कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता हुई पर दोनों देशों में कोई सम्झौता नहीं हो सका। इसे लेकर रविवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष स्थिति को सुलझाने और सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सैन्य और कूटनीतिक जुड़ाव जारी रखेंगे। यह वार्ता चुशुल-मोल्डो क्षेत्र में हुई थी।

भारत और चीन की सेनाओं में लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत से पहले चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने संपादकीय में लिखा था कि भारत के लिए चीन बुरा नहीं चाहता है। ‘ग्लोबल टाइम्स’ के शुक्रवार को प्रकाशित हुए संपादकीय में लिखा गया था कि चीन भारत के लिए बुरा नहीं चाहता है। पिछले दशकों में अच्छे-पड़ोसी संबंध चीन की मूल राष्ट्रीय नीति रही है, और चीन सीमा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का दृढ़ता से पालन करता रहा है। भारत को अपना दुश्मन बनाने का हमारे पास कोई कारण नहीं है।

गौरतलब है कि अमेरिका भी इस बात को लेकर चिंता जता चुका है कि भारत से लगी सीमा पर चीन का आक्रामक रवैया ‘खतरनाक’ है। पहले से ही न्हाररत-चीन की बैठक से किसी ठोस नतीजे की उम्मीद नहीं थी लेकिन भारत इसे महत्वपूर्ण मानता है क्योंकि उच्च-स्तरीय सैन्य संवाद गतिरोध के हल के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है। दोनों पक्षों के मध्य पहले ही स्थानीय कमांडरों के बीच कम से कम 12 दौर की तथा मेजर जनरल स्तरीय अधिकारियों के बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन चर्चा से कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला।

यह गतिरोध पांच मई को पैंगोंग त्सो में दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़पें होने के बाद शुरू हुआ था। पिछले महीने गतिरोध शुरू होने के बाद भारतीय सैन्य नेतृत्व ने फैसला किया कि भारतीय सेना पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी के सभी विवादित क्षेत्रों में चीनी सैनिकों की आक्रामक मुद्रा से निपटने के लिए दृढ़ दृष्टिकोण अपनाएगी।

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