जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल वोहरा का कार्यकाल बढ़ेगा?

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राज्यपाल एनएन वोहरा का कार्यकाल आगामी 25 जून को खत्म हो रहा है। कयास ये भी लगाया जा रहा है कि वोहरा का कार्यकाल 3 महीने या उससे ज्यादा भी बढ़ सकता है।

पंकज कुमार शर्मा, टीवी पत्रकार/नई दिल्ली

जम्मू-कश्मीर में BJP-PDP गठबंधन टूटने के बाद वहां राज्यपाल शासन लगना तय माना जा रहा है। राज्यपाल एनएन वोहरा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात पर रिपोर्ट भेजी है, जिसमें राज्यापल शासन की सिफारिश की गई है। यदि ऐसा हुआ तो जम्मू-कश्मीर में 40 साल में आठवीं बार राज्यपाल शासन लगेगा। वहीं, वोहरा के राज्यपाल रहते चौथी बार राज्यपाल शासन लगेगा। उधर, दूसरी ओर उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस ने पीडीपी को समर्थन देने के इनकार कर दिया है। राज्यपाल एनएन वोहरा का कार्यकाल आगामी 25 जून को खत्म हो रहा है। कयास ये भी लगाया जा रहा है कि वोहरा का कार्यकाल 3 महीने या उससे ज्यादा भी बढ़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक, अमरनाथ यात्रा के बाद जम्मू-कश्मीर में नए राज्यपाल की नियुक्ति हो सकती है। अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष भी वोहरा ही है, ऐसे में उनकी जगह किसी और की नियुक्ति अमरनाथ यात्रा को भी प्रभावित कर सकती है। अमरनाथ यात्रा 28 जून को शुरू होगी और 2 महीने तक चलेगी।
कौन हैं राज्यपाल एनएन वोहरा ?
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल 82 वर्षीय एनएन वोहरा 1959 बैच के पंजाब कैडर के रिटायर्ड IAS अधिकारी हैं। राज्य के 18 साल के इतिहास में वो पहले सिविलियन गवर्नर हैं। एनएन वोहरा साल 2008 से जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल हैं। एनएन वोहरा का दूसरा कार्यकाल आगामी 25 जून को खत्म हो रहा है, लेकिन नई नियुक्ति होने तक वे राज्यपाल के पद पर बने रहेंगे। एनएन वोहरा पहली बार 25 जून 2008 को यूपीए सरकार के दौरान जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल नियुक्त किए गए थे। साल 2013 में उन्हें कार्यकाल विस्तार दिया गया था।
वोहरा जम्मू-कश्मीर के 12वें राज्यपाल हैं। 2008 में उन्होंने एसके सिन्हा की जगह ली थी। गवर्नर बनने से पहले 2003 में उन्हें केंद्र सरकार की ओर से कश्मीर में वार्ताकार नियुक्त किया गया था।
साल 1954 से 1994 तक नौकरशाह रहे वोहरा ने केंद्रीय गृह एवं रक्षा सचिवों के रूप में सेवा दी। तत्कालीन प्रधानमंत्री आईके गुजराल के प्रधान सचिव के रूप में 1997-98 में उन्हें सेवानिवृत्ति से वापस बुला लिया गया। वोहरा को साल 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 1989 में जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद के उदय के बाद वह पहले राज्यपाल हैं जो सेना या खुफिया विभाग से बाहर के व्यक्ति हैं।
राज्यपाल की रेस में कौन ?
राज्यपाल एनएन वोहरा के बाद जम्मू-कश्मीर का अगला गवर्नर कौन होगा, इस पर भी चर्चाएं तेज़ हो गई हैं।
1. लेफ्टिनेंट जनरल सैय्यद अता हुसैन (सेवानिवृत्त): श्रीनगर स्थित चिनार कोर के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैय्यद अता हुसैन जम्मू-कश्मीर के नए गवर्नर बनाए जाने वालों में से एक हो सकते हैं। हुसैन के पास आम जनता से जुड़े होने की विरासत है। जनरल हुसैन ने 2010-2011 में जम्मू-कश्मीर में जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में ऑपरेशन सद्भावना को लीड किया था, जिससे घाटी में शांति लाने में कामयाबी मिली थी।
2. मेजर जनरल जीडी बख्शी (सेवानिवृत्त): मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. गगनदीप सिंह बख्शी का नाम भी राज्यपाल की रेस में माना जा रहा है। जीडी बख्शी पूर्व टॉप सैन्य अधिकारी के साथ-साथ प्रसिद्ध लेखक भी हैं। मेजर जनरल बख्शी ने अंग्रेजी भाषा में ‘बोस: एन इंडियन समुराई ए मिलेट्री एसेस्मेंट नेताजी एंड द आईएनए’ नामक पुस्तक भी लिखी है। जीडी बख्शी जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स में थे। मेजर जनरल बख्शी ने रोमियो फोर्स का नेतृत्व भी किया था, जिसने पुंछ-राजौरी में आतंकियों के खिलाफ कई सफल ऑपरेशन किए।
3. दिनेश्वर शर्मा: जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार के विशेष प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा का नाम भी गवर्नर की दौड़ में शामिल है। दिनेश्वर शर्मा केरल कैडर के 1979 बैच के IPS अधिकारी हैं। शर्मा का जन्म बिहार में हुआ है। दिनेश्वर शर्मा आईबी के प्रमुख भी रह चुके हैं। उन्हें जम्मू-कश्मीर में सभी वर्ग के लोगों से बातचीत करने के लिए सरकार का विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किया गया है। शर्मा को दिसंबर 2014 में 2 साल की अवधि के लिए आईबी का निदेशक नियुक्त किया गया था। शर्मा ने पहले आईबी प्रमुख के रूप में अजीत डोवाल के साथ काम किया था। उन्होंने यूपी के खुफिया ब्यूरो की अध्यक्षता भी की जब गृह मंत्री राजनाथ वहां के मुख्यमंत्री थे।
4. राजीव महर्षि: वह 1978 बैच के राजस्थान कैडर के IAS अधिकारी हैं। महर्षि ने नौकरशाह के रूप में करीब 40 सालों तक अपनी सेवाएं दी। इन्हें भी कश्मीर के संभावित गवर्नर के रूप में देखा जा रहा है। महर्षि भारत के मौजूदा नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) और संयुक्त राष्ट्र बोर्ड ऑफ ऑडिटर के अध्यक्ष हैं।
5. एएस दुलत: वह रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के चीफ भी रह चुके हैं। दुलत ने बार-बार संकेत दिया था कि पीडीपी-बीजेपी गठबंधन 2018 तक नहीं टिकेगा। वहीं, कश्मीर में कई राजनीतिक पंडित कहते हैं कि एएस दुलत जम्मू-कश्मीर के अगले राज्यपाल हो सकते हैं। दुलत ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान श्रीनगर में आईबी के विशेष निदेशक के रूप में कार्यरत कई वर्षों तक कश्मीर में काम किया। इस दौरान उन्होंने खुफिया नेटवर्क की निगरानी ही नहीं की, बल्कि वे वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान पीएमओ में कश्मीर पर भी सलाहकार थे। एएस दुलत ने ‘कश्मीर: द वाजपेयी इयर्स’ और ‘द स्पाई क्रॉनिकल्स: रॉ, आईएसआई और द इल्यूशन ऑफ पीस’ भी लिखी है।

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