कोविड के बाद कंपनियां घर से ही काम लेंगी, इससे मुनाफा भी बढ़ेगा

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हर पांच में से तीन संस्थान (करीब 60 फीसदी) फुल टाइम वर्कर पर अपनी निर्भरता को घटा रही है। एक कंपनी के संस्थापक बताते हैं कि मध्य मार्च से शुरू हुई कोरोना संकट के चलते कई लोगों की नौकरियां खतरे में आ गई है।

क्षितिज भास्वर / नई दिल्ली

कोरोना वायरस महामारी ने पूरी दुनिया में अपना कोहराम मचाया हुआ है और इस बीमारी के खत्म होने का कोई जरिया अभी तक नहीं दिख रहा है। कोविड-19 महामारी के कारण दुनिया भर में जारी लॉकडाउन से शायद सबसे बड़ा बदलाव यही आएगा कि ज्यादा से ज्यादा लोग घर से काम करेंगे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश की दिग्गज आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) इस दिशा में काम कर रही है। इसके तहत 2025 तक उसके 75 फीसदी कर्मचारी घर से काम करेंगे। 
ICICI, HDFC Bank, आरबीएल बैंक के 75 फीसदी कर्मचारी लॉकडाउन के दौरान पहले ही दूर से काम कर रहे हैं और अब बैंक स्थायी समाधान के तौर पर उनके घरों से हॉट डेस्किंग से और अलग-अलग स्थानों से काम लेने पर विचार कर रही है। कल सेंटर में कई कर्मचारी अलग-अलग समय पर एक ही वर्क स्टेशन का इस्तेमाल करते हैं।

फुल टाइम वर्कर घटाएंगी कंपनियाँ 

अनुमान है कि, हर पांच में से तीन संस्थान (करीब 60 फीसदी) फुल टाइम वर्कर पर अपनी निर्भरता को कम कर रही है। एक कंपनी के संस्थापक बताते हैं कि मध्य मार्च से शुरू हुई कोरोना संकट के चलते कई लोगों की नौकरियां खतरे में आ गई है। मौजूदा समय में सिर्फ सभी लोगों के पास ही रोजगार हैं। वहीं, इस संकट के चलते करीब करोड़ों वर्कर्स को पेमेंट नहीं मिल रहा है। हालांकि, भविष्य में गिग वर्कर्स और फ्रीलांसरों को नए अवसर मिलेंगे। देश के 80 फीसदी संस्थानों में करीब 10 फीसदी से कम गिग वर्कर्स (गिग वर्कर वे होते हैं जिन्हें प्रोजेक्ट के आधार पर भुगतान किया जाता है) काम करते हैं।
कर्मचारियों के घरों से काम करने से कंपनियों को किराया और रखरखाव से जुड़ी लागत की बचत होती है। कंपनियों के लिए कॉरपोरेट इंटीरियर का डिजाइन बनाने वाली और इसका निर्माण करने वाली कंपनी एनक्यूब के चेयरमैन और को-वर्किंग कंपनी ऑफिसडॉटकॉम के मुख्य कार्याधिकारी अमित रमानी ने कहा, ‘अमेरिका में अभी 4 फीसदी कर्मचारी घर से काम करते हैं। भारत में दफ्तरों में काम करने वाले 5 करोड़ कामगारों में से करीब 1 फीसदी घर से काम करते हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि लॉकडाउन के बाद यह संख्या 10 से 12 फीसदी तक पहुंच सकती है।’ कोविड-19 के कारण केवल यही बदलाव नहीं होगा। कंपनियों के कार्यालय एक ही इमारत तक सीमित रहने के बजाय शहर में कई स्थानों पर बिखरे होंगे। दफ्तरों में मोशन सेंसर और चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक लगी होगी जो आपके मोबाइल से संचालित होगी। इससे आपको दरवाजा खोलने यह वेंडिंग मशीन से कॉफी निकालने के लिए किसी सतह को छूने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
 
स्मार्ट लिफ्ट में कम लोग सफर सकेंगे और वह बटन के बजाय मोबाइल से ऑपरेट होगी। सामाजिक दूरी बनाने के लिए ऑफिस का आकार काफी बड़ा हो सकता है। कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम के बजाय मोबाइल उपकरणों और जियो टैगिंग का इस्तेमाल होगा। एसी में एन-95 फिल्टर का इस्तेमाल होगा ताकि उनसे संक्रमण का खतरा कम हो सके।

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